मैं निराशा की गर्त में डूबने वालों में नहीं
आशा की कोर को छूना जानती हूं ।
यथार्थ को जी कर सपनों को पालती हूं
इस छोर पर खडी हो उस छोर की
बाट जोहने वालों में नहीं
मैं अंतहीन होना जानती हूं ।
विध्वंसक न सही
मैं हौले से आंचल के कोर से
खुद अपने आंसू पोछना जानती हूं ।
शब्दों की गहराइ में उतरती भी हूँ
पर उथले कीचड को पहचानती हूं
ज़रा सी ठेस से टूटने वालों में मैं नहीं,
अपने टुकडों को समेटना जानती हूं ।
निराशा के अंधेरों में डूबने वालों में नहीं
मैं आशा की हर सहर बिताना जानती हूं ।
Category: Hindustani Shayari
Pyaas
I wrote this sometime in 1986
प्यास
मैं ज्योति, तुम उजियारा
मैं नभ प्रतीक, तुम सूरज हो
मैं सौरभ, तुम हो सुवास
मैं हूँ प्रार्थना, तुम बने शिवि
मैं प्रकृित निश्चछल, तुम उज्जवल मानव
मैं पूर्ण, तुम हो संपूर्ण
मैं सरिता कलकल, तुम सागर सम
बहती बहती पवन हूँ मैं, तुम मंद हवा का झोंका हो
मैं गति, तुम हो ठहराव
मैं आकाश, तुम ब्रम्हांड हो
मैं प्रेरणा, तुम कल्पना
मैं बूंद बनी प्यासे तुम
मैं स्वाति, तुम चातक
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Forever hopeful – Diary of 1998
Yeh raat beet jayegi, sawera ayega
apna dil bhee kanhi basera payega
Khushk labon pe phir nami chaa jayegi
pyar ka dariya dil tar batar kar jayega
Sawan ke baadal jhoom jhoom phir barsenge
palak palak, phool phool phir moti dhalkenge
phir deep jalenge aangan me, chaand sitare chamkenge
phir dil dulhan ban jaega, phir naya sawera aayega
(June 16, 1998)