Momin. मोमिन की एक ग़ज़ल

मार ही ड़ाल मुझे चश्मे अदा से पहले
अपनी मंजिल को पहुंच जाउँ कज़ा से पहले

इक नज़र देख लूँ आ जाओ क़ज़ा से पहले
तुम से मिलने की तमन्ना है ख़ुदा से पहले

ह‌‌‍श्र के रोज़ मैं पूछूंगा ख़ुदा से पहले
तूने रोका क्यूँ नही मुझको ख़ता से पहले

ए मेरी मौत ठहर उनको ज़रा आने दे
ज़हर का ज़ाम न दे मुझको दवा से पहले

हाथ पहुँचे भी न थे ज़ुल्फे दोता तक मोमिन
हथकडी डाल दी ज़ालिम ने ख़ता से पहले

— मोमिन खाँ मोमिन

पहले तुझे आना होगा…

मैं न कहता था मेरे घर में भी आयेगी बहार
शर्त इतनी थी कि पहले तुझे आना होगा
                                     —कैफी आज़मी