Meri pyaas ko samjho tum… dariya mere andar hai

मेरी प्यास को समझो तुम
दरिया मेरे अंदर है

कितने ज़ख्मों को सींचूँ मैं
जिस्म का पैकर जर्जर है

यादें मेरे माज़ी की
बौछारों का नश्तर है

सहरा सहरा चीख उठा है
गुलशन गुलशन बंजर है

साहिल तन्हा बैठा है
प्यास भी एक समंदर है

एक तबस्सुम होंटों पर
अपनी रूह का ज़ेवर है

जब जब डूबा सूरज है
खूँ में नहाया सागर है

धूप के सोज़ को क्या जाने
जिस के सर पर छप्पर है

मेरे दिल को तोड़ोगे ?
शीशा नहीं ये पत्थर है

  میری پیاس کو سمجھو تم
 دریا میرے اندر ہے

کتنے زخموں کو سینچوں  میں
جسم کا پیکر جرجر ہے

یادیں میرے ماضی کی
بوچھاروں کا  نشتر ہے

صحرا صحرا چیخ اٹھا ہے
گلشن گلشن بنجر ہے

ساحل تنہا بیٹھا ہے
پیاس بھی ایک سمندر ہے

ایک تبسم   ہونٹوں پر
اپنی روح کا زیور ہے

جب  جب ڈوبا سورج ہے
خوں  میں نہایا  ساگر ہے

 دھوپ کے سوز کو کیا جانے
جس کے سر پر  چھپر ہے

میرے دل کو توڑو گے ؟
شیشہ  نہیں یہ پتھر ہے

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