आहुती

उषा की निमर्ति
निशा की आहुति
तारों का टूटना
गिरना ‌और बिखरना
सपनों की आहुति
पत्थरों की पूजा
धरती की ठोकर
गिरती हुयी मंजिल
उडती हुयी राहें
जिन्दगी की आहुती

अश्क

गमों की रहगुज़र पर जब अश्कों ने भी साथ न दिया
तो हम चल पडे अकेले ही मंज़िल की तलाश में
आंख की कोर पर बूंद मानों लटक कर रह गयी
और धीरे धीरे हालात की आंधी ने उसे भी सोख लिया

मैं!

मैं निराशा की गर्त में डूबने वालों में नहीं
आशा की कोर को छूना जानती हूं ।
यथार्थ को जी कर सपनों को पालती हूं
इस छोर पर खडी हो उस छोर की
बाट जोहने वालों में नहीं
मैं अंतहीन होना जानती हूं ।
विध्वंसक न सही
मैं हौले से आंचल के कोर से
खुद अपने आंसू पोछना जानती हूं ।
शब्दों की गहराइ में उतरती भी हूँ
पर उथले कीचड को पहचानती हूं
ज़रा सी ठेस से टूटने वालों में मैं नहीं,
अपने टुकडों को समेटना जानती हूं ।
निराशा के अंधेरों में डूबने वालों में नहीं
मैं आशा की हर सहर बिताना जानती हूं ।

Pyaas

I wrote this sometime in 1986

प्यास 

मैं ज्योति, तुम उजियारा
मैं नभ प्रतीक, तुम सूरज हो
मैं सौरभ, तुम हो सुवास
मैं हूँ प्रार्थना, तुम बने शिवि
मैं प्रकृित निश्चछल, तुम उज्जवल मानव
मैं पूर्ण, तुम हो संपूर्ण
मैं सरिता कलकल, तुम सागर सम
बहती बहती पवन हूँ मैं, तुम मंद हवा का झोंका हो
मैं गति, तुम हो ठहराव
मैं आकाश, तुम ब्रम्हांड हो
मैं प्रेरणा, तुम कल्पना
मैं बूंद बनी प्यासे तुम
मैं स्वाति, तुम चातक

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Forever hopeful – Diary of 1998

Yeh raat beet jayegi, sawera ayega
apna dil bhee kanhi basera payega

Khushk labon pe phir nami chaa jayegi
pyar ka dariya dil tar batar kar jayega

Sawan ke baadal jhoom jhoom phir barsenge
palak palak, phool phool phir moti dhalkenge

phir deep jalenge aangan me, chaand sitare chamkenge
phir dil dulhan ban jaega, phir naya sawera aayega

(June 16, 1998)