डर (ڈر)

गर्मी की तपिश को सूरज का
बारिश को सूखे होंटों का
सावन को पीले पत्तों का
खामोशी को सन्नाटे का
एक पंछी को तुम पिंजरे का
और चाँद को रात सियाही का
किस बात का डर दिखलाओगे?
क्या उन को खौफ़ जताओगे?

मज़दूर को सूखी रोटी का
किसान को बंजर खेती का
दीवाने को असीरी का
बाग़ी को जान से जाने का
मजबूर को अपनी ताक़त का
और इंसा को नाचारी का
तुम इन को डर दिखलकर फिर
खुद खौफ़ज़दा हो जाओगे

– स्वाती सानी “रेशम”

گرمی کی تپش کو سورج کا
بارش کو سوکھے ہوٹوں کا
ساون کو پیلے پتوں کا
خاموشی کو سناٹے کا
ایک پنچھی کو تم پنجرے کا
اور چاند کو رات سیاہی کا
کس بات کا ڈر دکھلاؤگے
کیا ان کو خوف جتاؤگے ؟

مزدور کو سوکھی روٹی کا
کسان کو بنجر کھیتی کا
دیوانے کو اسیری کا
باغی کو جاں سے جانے کا
مجبور کو اپنی طاقت کا
اور انساں کو ناچاری کا
تم ان کو ڈر دکھلا کر پھر
!خود خوف زدہ ہو جاؤگے

– سواتی ثانی ریشمؔ

Photo by Roi Dimor on Unsplash

Saans ki dori ka bandhan ho gaya

साँस की डोरी का बंधन हो गया ज़िंदा रहना भी एक उलझन हो गया अक्स देखा फिर वो दर्पन खो गया जिस्म सुलगा और जोगन हो गया तप चुकी जब आग चूल्हे में  नयी तन बदन मिट्टी का बर्तन हो गया सारा दिन तपता रहा था आँच में शाम होते ही वो कुंदन हो गया … Continue reading Saans ki dori ka bandhan ho gaya

Insensitivity

Abused in life by the powerful abused in death by even more powerful she was just a pawn and then someone said don’t give it so much importance it’s really not of much consequence People must get used to it after all she is a woman and a Dalit. – Swati Sani Photo by Cullan … Continue reading Insensitivity

Muhabbaton ki roshni badhayi jaye

सियह है  रात, राह तो सुझाई जाये फलक पे बिंदी चांद की लगाई जाये मुझे भी हक़ है तुझ से इख्तिलाफ़ का ज़माने को ये बात भी बताई जाये ये नक्शा खींचे चाहे जितनी सरहदें ऐ दोस्त अब ये दुश्मनी मिटाई जाये अना ही उस की जंग पर है आमादा हजर को रागिनी क्या सुनाई … Continue reading Muhabbaton ki roshni badhayi jaye

Urdu poetry and the tradition of Marsiya Goi

Marsiya is an elegiac poem of mourning written when someone close, someone much loved dies. Urdu literature has a rich tradition of Marsiya goi. There are two types of marasi. The riwayati marsiya, one that is written to commemorate the martyrdom of Imam Hussain and his family and friends in the battle of Karbala which … Continue reading Urdu poetry and the tradition of Marsiya Goi

Dariya khud pyaase se paani maange

کاغز کا ٹکڑا بھی کہانی مانگے بیتی ہوئی راتوں کی نشانی مانگے اترا کرتی ہے جب گلوں پے شبنم دل آج وہی شام سہانی مانگے وہ آگ جو سینے میں جلا کرتی ہے اس کے قصے بھی شعلہ بیانی مانگے رک جائے جو پلکوں پے تو آنسو کہنا بہہ جائے تو موجوں کی روانی مانگے … Continue reading Dariya khud pyaase se paani maange

Ye chahat ki ada teri qayamat hai. Ek ghazal

मिरे ज़िम्मे तिरे घर की निज़ामत हैये चाहत की अदा तेरी क़यामत है शिकायत है! शिकायत है! शिकायत है!तिरी हर बात बस ला’नत मलामत है सफ़र से थक के आने पर मिली तस्कींये देखा जब कि मेरा घर सलामत है शिकायत क्यों करो नाकारा बैठे होकि सुस्ती मौत ही की तो अलामत है बड़ी मुश्किल … Continue reading Ye chahat ki ada teri qayamat hai. Ek ghazal

Badalta hi chala jaaye…

बुलाऊँ मैं न आए वो सताता ही चला जाये अकेलापन मिरे दिल में उतरता ही चला जाये कहूँ किस से लिखूँ किस को कि दुःख तो है मिरे जी को ये दिल ही है जो सीने में सिसकता ही चला जाये मैं चाहूँ तो न चाहूँ तो प मोती फिर बिखरते हैं बरसता है ये … Continue reading Badalta hi chala jaaye…

Books on Urdu Poetry

The popularity of Urdu Ghazal amongst our youngsters is immense. However, after talking to several of them I realized that while they love Urdu poetry, they would appreciate translations of couplets in English as there are times when the meaning of the sher is not very apparent to them. That is how I started translating … Continue reading Books on Urdu Poetry