कल शब बड़ी देर तक निकला रहा चाँद चाँदनी गिरती ओस को पिरोती रही रात घिरती रही कल शब तुम्हारी अलसाई बाहों में आने को मचलता रहा चाँद बेदम ठंड़ी साँसो को गर्म करता रहा चाँद कल शब बहुत उदास था चाँद सितारे थे तुम्हारी आगोश में राह तकता रहा चाँद -स्वाति सानी ‘रेशम’ |
کل شب بڑی دیر تک نکلا رہا چاند
چاندنی گرتی اوس کو پروتی رہی رات گھرتی رہی کل شب تمہاری السائی باہوں مین آنے کو مچلتا رہا چاند بے دم ٹھنڈی سانسوں کو گرم کرتا رہا چاند کل شب بہت اداس تھا چاند ستارے تھے تمہاری آغوش میں راہ تکتا رہا چاند ؔسواتی ثانی ریشم – |
azim tasavvur…