वो लोग बहुत खुश–किस्मत थे
जो इश्क़ को काम समझते थे
या काम से आशिकी करते थे
हम जीते जी मसरूफ रहे
कुछ इश्क़ किया, कुछ काम किया
काम इश्क के आड़े आता रहा
और इश्क से काम उलझता रहा
फिर आखिर तंग आ कर हमने
दोनों को अधूरा छोड दिया
— फैज़ अहमद फैज़
वो लोग बहुत खुश–किस्मत थे
जो इश्क़ को काम समझते थे
या काम से आशिकी करते थे
हम जीते जी मसरूफ रहे
कुछ इश्क़ किया, कुछ काम किया
काम इश्क के आड़े आता रहा
और इश्क से काम उलझता रहा
फिर आखिर तंग आ कर हमने
दोनों को अधूरा छोड दिया
— फैज़ अहमद फैज़
wow !
Hello
How are you doing? 🙂
—
Varun
Re: Hello
Doing well Varun, but music has left me 🙁
How are you?
Re: Hello
Pardon for butting in.
How come music has left you?
Also. My handheld doesn’t have devnagri script – so can’t read the faiz above – will do one at desktop..
Best/
AT
Re: Hello
Music has left me as with my changing of residence, I can not reach my Ustad (or rather he can not reach me -he use to come home to teach Sitar to me)