दिलों को पिरोने वाला अब वो तागा नहीं मिलता
रिश्तों में नमीं प्यार में सहारा नहीं मिलता
यूँ ही बैठे रहो, चुप रहो, कुछ न कहो
लोग मिल जातें हैं दोस्त गवारा नहीं मिलता
वो जिसे हम तका करते थे सहर तक
अंधेरी रातों को अब वो सितारा नहीं मिलता
रेत बंद हाथों से फिसलती जाती है
वक्त जो टल जाता है दोबारा नहीं मिलता
डूब जाने दे दरियाओं में मुझे ऐ हमदम
अब वो सुकून भरा किनारा नहीं मिलता