फ़ना (فنا)

तुम्हारी चाहत
पहाड़ पर मुंजमिद
बर्फ की मानिंद
मेरी गर्म हथेली के
लम्स से पिघलती हुई

मेरे हाथों से
निकल कर
पहाड़ों, जंगलों, और रास्तों को
पार करती हुई
तेज़ी से बहने लगती है

मगर सूरज की तपिश
से बच नहीं पाती
और धीरे धीरे
ये पिघलती, बहती चाहत तुम्हारी
भाप बन कर फ़ना हो जाती है

– स्वाति सानी “रेशम”

تمہاری چاہت
پہاڑ پر منجمد
برف کی مانند
میری گرم ہتھیلی کے
لمس سے پگھلتی ہوئی

میرے ہاتھوں سے
نکل کر
پہاڑوں، جنگلوں اور راستوں کو
پار کرتی ہوئی
تیزی سےبہنے لگتی ہے

مگر سورج کی طپش
سے بچ نہیں پاتی
اور دھیرے دھیرے
یہ پگھلتی، بہتئ چاہت تمہاری
بھاپ بن کر فنا ہو جاتی ہے

سواتی ثانی ریشمؔ –

Photo by Štefan Štefančík on Unsplash

Jaagi ratoN ka ai’tbaar kahan

जागी रातों का ए’तबार कहाँमुझ को ख़्वाबों पे इख़्तियार कहाँ नींद बिस्तर पे जागी रहती हैदिल का जाने गया क़रार कहाँ रक़्स परवाने का है नज़रों में शम’अ का कोई राज़ दार कहाँ बनते बनते बनेगी बात कभी अभी उस को है मुझ से प्यार कहाँ मुस्कुराहट बिखेर दो तुम तो ग़म भी होता है … Continue reading Jaagi ratoN ka ai’tbaar kahan

Meri pyaas ko samjho tum… dariya mere andar hai

मेरी प्यास को समझो तुम दरिया मेरे अंदर है कितने ज़ख्मों को सींचूँ मैं जिस्म का पैकर जर्जर है यादें मेरे माज़ी की बौछारों का नश्तर है सहरा सहरा चीख उठा है गुलशन गुलशन बंजर है साहिल तन्हा बैठा है प्यास भी एक समंदर है एक तबस्सुम होंटों पर अपनी रूह का ज़ेवर है जब … Continue reading Meri pyaas ko samjho tum… dariya mere andar hai

Kuch aur aasmaN par ham taank deN sitare

सूरज की रोशनी में बिखरे हुए थे सारे जो रात की सियाही में साथ थे हमारे आओ फ़रोंजां कर दें आँसू के कुछ शरारेकुछ और आसमां पर हम टाँक दें सितारे मिलने का वा’दा कर के फिर चाँद क्यूँ न आया नद्दी थी राह तकती गिन गिन के रात तारे करवट बदलते दुख की वहशत … Continue reading Kuch aur aasmaN par ham taank deN sitare

Abr jab wadiyoN pe chhaye thae

अब्र जब वादियों पे छाये थे चाँद पर खामुशी के साये थे सहमी सहमी सियाह रातों के दीप आंधी में थरथराये थे तन्हा रातों में भीगते नग़्मेअब के बारिश ने गुनगुनाये थे इस चमन के थे जितने क़िस्से वो काँटों ने कलियों को सुनाये थे जाने पहचाने चेहरे थे मौजूद सर झुकाये, नज़र चुराये थे … Continue reading Abr jab wadiyoN pe chhaye thae

Dil to fariyaad kiya karta hai

दिल तो फ़रियाद किया करता हैज़ीस्त फ़रमान सुना देती है शाख से फूल गिरा कर के हवातेरे आने का पता देती है गुल को दो बूंद पिला कर शबनमप्यास सहरा की बुझा देती है गुनगुनाती हुई इक याद तिरीबुझते शोलों को हवा देती है प्यार है सीप का मोती जिस कोरेत साहिल की दुआ देती … Continue reading Dil to fariyaad kiya karta hai

Eid aur Diwali عید اور دیوالی

پہن کے چنری رنگوں والی شام مسکرا اٹھیپلک جھپکتے دن گیا او رات جگمگا اٹھیسواتی ثانی ریشمؔ – पहन के चुनरी रंगों वली शाम मुस्कुरा उठी पलक झपकते दिन गया औ रात जगमगा उठी -स्वाति सानी “रेशम” Photo by Siti Rahmanah Mat Daud on Unsplash

Maut ka saaya

موت کا کالا سایااب دیہاتوں پر منڈراتا ہےسیاست دانوں نےجس کا فائدہ اٹھائا تھااس وبا کا کہر تو امیروں نے ڈھایا تھاغریب کیوں اس کامعاوضہ دیں؟سواتی ثانی ریشمؔ – मौत का काला साया अब देहातों पर मंडराता है सियासत दानों ने जिस का फायदा उठाया था उस वबा का कहर तो अमीरों ने ढाया था … Continue reading Maut ka saaya

आवाज़ ए दिरा آواز درا

चाहे जितने गहरेदफन कर दोहमारी आवाज़ेंवो फिर उग आयेंगीबीज की तरहधूल में भीलहलहा जायेंगी– स्वाति सानी “रेशम” چاہے جتنے گہرے دفن کر دو ہماری آوازیںوہ پھر اگ آیں گیبیج کی طرح دھول میں بھیلہلہا جایں گیسواتی ثانی ریشمؔ – Photo by Ehimetalor Akhere Unuabona on Unsplash

Akele ghar mein roshan daan se sooraj jhalakta hai

अकेले घर में रोशन दान से सूरज झलकता है उदासी आह भरती है तो बाम ओ दर सिसकता है लहू बहता है पावों से चमन में कांटे इतने हैं यहाँ ना गुल महकता है, औ ना बुलबुल चहकता है घटा ऐसी उमड़ती है सितारे डूब जाते हैं तो बरसों की सियाही खत्म कर दीपक दमकता … Continue reading Akele ghar mein roshan daan se sooraj jhalakta hai