Kuch aur aasmaN par ham taank deN sitare

सूरज की रोशनी में बिखरे हुए थे सारे
जो रात की सियाही में साथ थे हमारे

आओ फ़रोंजां कर दें आँसू के कुछ शरारे
कुछ और आसमां पर हम टाँक दें सितारे

मिलने का वा’दा कर के फिर चाँद क्यूँ न आया
नद्दी थी राह तकती गिन गिन के रात तारे

करवट बदलते दुख की वहशत ज़दा खमोशी
कमरे की खिड़कियों से फिर दफ़अ’तन पुकारे

तारों के ख्वाब सारे सजते हैं शाम ही से
देरीना ख्वाहिशों से निखरे हैं माह पारे

वीरान सी गली में थीं रौनकें हजारों
जो ख्वाब रात देखे वो साथ थे हमारे

चाहा था हम ने बाहों में ले लें चाँद ही को
तारों की अंजुमन को बिन फर्श पर उतारे

किस गाम जा के बरसें किस छत पे भीग जायें
घर ढूंढते नगर में आवारा अब्र पारे

–स्वाति सानी “रेशम”

سورج کی روشنی میں بکھرے ہوئے تھے سارے
جو رات کی سیاہی میں ساتھ تھے ہمارے

آؤ فروزاں کر دیں آنسو کے کچھ شرارے
کچھ اور آسماں پر  ہم  ٹانک دیں ستارے

ملنے کا وعدہ کر کے پھر چاند کیوں نہ آیا
ندی تھی راہ تکتی گن گن کے رات تارے

کروٹ بدلتے دکھ کی وحشت زدہ خموشی
کمرے کی کھڑکیوں سے پھر  دفعتاً پکارے

تاروں کے خواب سارے سجتے ہیں شام ہی سے
دیرینہ خواہشوں سے نکھرے ہیں ماہ پارے

ویران سی گلی میں تھیں رونکیں ہزاروں
جو خواب رات دیکھے وہ ساتھ تھے ہمارے

چاہا تھا ہم نے بانہوں میں لے لیں چاند ہی کو
تاروں کی انجمن کو بن فرش پر اتارے

کس گام جا کے برسیں کس چھت پے بھیگ جائیں
گھر ڈھونڈتے نگر میں آوارہ ابر پارے

سواتی ثانی ریشمؔ —

Photo by Johannes Plenio on Unsplash

Abr jab wadiyoN pe chhaye thae

अब्र जब वादियों पे छाये थे चाँद पर खामुशी के साये थे सहमी सहमी सियाह रातों के दीप आंधी में थरथराये थे तन्हा रातों में भीगते नग़्मेअब के बारिश ने गुनगुनाये थे इस चमन के थे जितने क़िस्से वो काँटों ने कलियों को सुनाये थे जाने पहचाने चेहरे थे मौजूद सर झुकाये, नज़र चुराये थे … Continue reading Abr jab wadiyoN pe chhaye thae

Dil to fariyaad kiya karta hai

दिल तो फ़रियाद किया करता हैज़ीस्त फ़रमान सुना देती है शाख से फूल गिरा कर के हवातेरे आने का पता देती है गुल को दो बूंद पिला कर शबनमप्यास सहरा की बुझा देती है गुनगुनाती हुई इक याद तिरीबुझते शोलों को हवा देती है प्यार है सीप का मोती जिस कोरेत साहिल की दुआ देती … Continue reading Dil to fariyaad kiya karta hai

Eid aur Diwali عید اور دیوالی

پہن کے چنری رنگوں والی شام مسکرا اٹھیپلک جھپکتے دن گیا او رات جگمگا اٹھیسواتی ثانی ریشمؔ – पहन के चुनरी रंगों वली शाम मुस्कुरा उठी पलक झपकते दिन गया औ रात जगमगा उठी -स्वाति सानी “रेशम” Photo by Siti Rahmanah Mat Daud on Unsplash

Maut ka saaya

موت کا کالا سایااب دیہاتوں پر منڈراتا ہےسیاست دانوں نےجس کا فائدہ اٹھائا تھااس وبا کا کہر تو امیروں نے ڈھایا تھاغریب کیوں اس کامعاوضہ دیں؟سواتی ثانی ریشمؔ – मौत का काला साया अब देहातों पर मंडराता है सियासत दानों ने जिस का फायदा उठाया था उस वबा का कहर तो अमीरों ने ढाया था … Continue reading Maut ka saaya

आवाज़ ए दिरा آواز درا

चाहे जितने गहरेदफन कर दोहमारी आवाज़ेंवो फिर उग आयेंगीबीज की तरहधूल में भीलहलहा जायेंगी– स्वाति सानी “रेशम” چاہے جتنے گہرے دفن کر دو ہماری آوازیںوہ پھر اگ آیں گیبیج کی طرح دھول میں بھیلہلہا جایں گیسواتی ثانی ریشمؔ – Photo by Ehimetalor Akhere Unuabona on Unsplash

Akele ghar mein roshan daan se sooraj jhalakta hai

अकेले घर में रोशन दान से सूरज झलकता है उदासी आह भरती है तो बाम ओ दर सिसकता है लहू बहता है पावों से चमन में कांटे इतने हैं यहाँ ना गुल महकता है, औ ना बुलबुल चहकता है घटा ऐसी उमड़ती है सितारे डूब जाते हैं तो बरसों की सियाही खत्म कर दीपक दमकता … Continue reading Akele ghar mein roshan daan se sooraj jhalakta hai

ke ab mausam badalta hai

चली मस्तानों की टोली के अब मौसम बदलता हैहै रंगों से भरी झोली कि अब मौसम बदलता है चमन में शोर ओ ग़ुल हर ओर, रंगों की हैं बरसातेंबिरज में आज है होरी कि अब मौसम बदलता है सदा कोयल की जब आये शजर पे बौर भर आये महक उठती है अमराई कि अब मौसम … Continue reading ke ab mausam badalta hai

Ye sannata dunia pe bhari padega

अनाओं पे अपनी अगर तू अड़ेगा तो तूफान से किस तरह फिर लड़ेगा तू साये से अपने यूं कब तक डरेगा कभी न कभी तुझ को लड़ना पड़ेगा क़फ़स में परिंदा है पर फड़फड़ाता अभी क़ैद में है, कभी तो उड़ेगा किया नक़्श पत्ते को दीवार पर तोख़िज़ाॅं हो या सावन, न अब वो झड़ेगा … Continue reading Ye sannata dunia pe bhari padega

Haadse ke baad

हर हादसे के बादजा-ब-जा सुनाई देती हैंज़ख़्मी आवाज़ेंदर्द से बिलबिलातीडरी सहमी आवाज़ेंरुक रुक के पुकारती हैंऔर फिरन सुने जाने परकराहती हुईथम जाती हैंऔरदुनियादारी में मुब्तलाहम सबदेखते रहते हैंचुपचापचुपचापचुपचाप –स्वाति सानी “रेशम” ہر حادثے کے بعد جابجا سنائی دیتی ہیںزخمی آوازیںدرد سے بلبلاتیڈری سہمی آوازیںرک رک کے پکارتی ہیںاور پھرنہ سنے جانے پرکراہتی ہوئیتھم جاتی ہیںاوردنیاداری میں … Continue reading Haadse ke baad