جزباتوں کو کاغز پرنقش کرتی ہوں
میں اکثر اپنی چیکھوں کو ضبط کرتی ہوں
میں اکثر اپنی چیکھوں کو ضبط کرتی ہوں
سواتی ثانی “ریشم-
जज़्बातों को काग़ज़ पर नक़्श करती हूँ
मैं अक्सर अपनी चीख़ों को ज़ब्त करती हूँ
-स्वाति सानी “रेशम”
जज़्बातों को काग़ज़ पर नक़्श करती हूँ
मैं अक्सर अपनी चीख़ों को ज़ब्त करती हूँ
-स्वाति सानी “रेशम”