गौरी। कुछ ५ साल की थी जब उसकी माँ इलाहबाद की गर्मियों की चपेट में आ गयी और २ दिन में ही इस दुनिया से चली गयीं उम्र इतनी नहीं थी कि सब कुछ समझ पाती, मगर पापा थे, भैया थे, दादी थीं, तीनों बुआ थीं. खयाल रखने वाले काफ़ी लोग थे। ज़िन्दगी इतनी बुरी भी नहीं थी। फिर कुछ सालों बाद उसके पापा की दुसरी शादी हो गयी। पापा नयी मम्मी के साथ रहने लगे और गौरी और उसके भैया इलाहबाद में चाचा चाची के साथ। कुछ दिन सब ठीक रहा, स्कूल भी ठीक ही चल रहा था दोनों भाई बहन छुट्टियों में पापा से भी मिल लेते थे। गौरी छठीं कक्षा में पहुंच गयी। फिर एक दिन अचानक ख़बर आयी – गौरी मर गयी।
मर गयी? कैसे मर गयी? कुछ भी तो नहीं हुआ था उसे।
पता चला किसी ने ड्रग्स की आदत लगवा दी थी उसे।
ओवर डोज़ ने उसकी जान ले ली।
गौरी मेरी ममेरी बहन थी