जब सफर है इतना हसीं तो मंज़िल मिल ही जायेगी
हैं मुश्किल रास्ते मगर राह तो निकल ही आयेगी
Month: April 2012
चाँद और चुप
हर रात चीखती है खामोशी
चाँद बेबस मुँह तकता है उसका
सहम कर छोटा होता जाता है
सिकुड़ कर बिलकुल ख्तम हो जाता है
काली रात में सन्नाटे भी कम बोलते है…
सहमा चाँद हौले से झाँकता है
चुप्पी सुन बहादुरी से सीना फैलाता है
और धीरे धीरे फूल कर वह कुप्पा हो जाता है
डरपोक चाँद बहादुरी की मिसाल बन जाता है