Barish ki boondoN mein apne dard ko botii rahi

बारिश की बूंदों में अपने दर्द को बोती रही 
राह तकती शम्म’-ए-सोज़ाँ रात भर रोती रही 

झाँकते थे चाँद तारे खिड़कियों कि आड़ से 
बेखबर दुनिया थी मीठी नींद में सोती रही 

इक अधूरा चाँद तो अपने सफर पर था कहीं
इक मुकम्मल रात अपना बोझ खुद ढोती रही 

फूल पर शबनम के क़तरे प्यार बरसाते रहे
नूर की पहली किरन भी अपनी सुध खोती रही

धुंद से उभरी धनक और आसमां में खो गई
कोई हलचल मेरे अंदर भी कहीं होती रही 

बैठ कर खामोशी से मैं देखा करती थी उन्हें 
गठरियाँ जो रंज की मैं अपने सर ढोती रही 

सब सितारे दे दिए थे आसमां ने खुद मुझे
सोहबतों की रात थी पर आँख नम होती रही
بارس کی بوندوں میں اپنے  درد کو بوتی رہی
راہ تکتی شمعِ سوزاں رات بھر روتی رہی

جھانکتے تھے چاند تارے کھڑکیوں کی آڑ سے
بے خبر دنیا تھی میٹھی نیند میں سوتی رہی

اک ادھورا چاند تو اپنے سفر پر تھا کہیں
اک مکمل رات اپنا بوجھ خود ڈھوتی رہی

پھول پر شبنم کے قطرے  پیار  برساتے رہے
نور کی پہلی کرن   بھی اپنی سدھ کھوتی رہی

دھند سے ابھری   دھنک اور بادلوں میں کھو گئی
کوئی  ہلچل میرے اندر بھی کہیں ہوتی رہی

بیٹھ کر خاموشی سے میں  دیکھا کرتی تھی انہیں
گٹھریاں جو رنج کی میں اپنے سر ڈھوتی رہی

سب ستارے دے دئے تھے آسماں نے خود مجھے
صحبتوں کی رات تھی پر آنکھ نم ہوتی رہی

Photo by Roberto Nickson on Unsplash

Safar

बहुत पुरानी बात है ये बात आज की नहीं बरस गुज़र गए कई मगर मुझे है याद सब कि एक दिन हुआ था यूँ मुझे वहीं मिला था वो जहां पे रास्ते थे दो जहां पे मिल रहे थे वो वहीं से हम भी साथ होके साथ ही निकल पड़ेसफर कि इब्तिदा हुई फिज़ाऐं रंग-बार थीं चमन में भी बहार थी हवा में इक सुरूर था नई … Continue reading Safar

Suno miri jaaN ye apne aansu chhupaye rakhna

सुनो मिरी जाँ ये अपने आँसू छुपाए रखना तुम अपनी मजबूरीयों को उन से बचाए रखना  अंधेरी रातें जो बन के तूफान तुम को घेरें हवा कि ज़द में चराग़ अपने जलाए रखना  है मुश्किलों से भरी ये दुनिया मगर सुनो तुम लबों पे हरदम ये मुस्कुराहट सजाए रखना  किसी कि चाहत में अपना तन मन लुटा न … Continue reading Suno miri jaaN ye apne aansu chhupaye rakhna

Dunia miri nigaah ki qaiel nahiN rahi

दुनिया की बात क्या कहें अच्छी भली रही अंदाज़ दोस्ती का था पर दुश्मनी रही  हर दर्द मिट चुका था मगर बेकसी रहीसाहिल क़रीब था मिरे पर तिशनगी रही  इक उम्र चुक गयी है यही सोचते हुए ग़म खत्म हो चुके हैं मगर ज़िंदगी रही  ख्वाबों का क्या वजूद रहा जागने के बाद फिर भी मैं दिन में … Continue reading Dunia miri nigaah ki qaiel nahiN rahi

Dhoop meiN jis ka sayaa sar par hota hai

धूप में जिस का साया सर पर होता है एक शजर हर घर में अक्सर होता है  बूढ़े घर के दरवाजों का भारीपनबचपन की यादों का मेहवर होता है  झरना दरिया झील समुंदर  सब खामोशशोर मगर कुछ उन के अंदर होता है   बात लबों तक आ  आ कर थम जाती है इश्क़ मोहब्बत प्यार में ये डर  … Continue reading Dhoop meiN jis ka sayaa sar par hota hai

KhayaloN khwaboN ka ik nagar thaa

खयालों ख्वाबों का इक नगर था वहीं पे मेरा भी एक घर था और उस के दीवार ओ दर के अंदर मेरा जहां था मिरी किताबें मैं उन मे खो कर फ़साने सुनती और अपनी भी इक कहानी बुनतीतुम्हें सुनाती तो देखती मैंतुम्हारी आँखों में वो ही सपनेजो मेरी आँखें भी देखती थीं  सजीले दिन और नशीली शामें अंधेरी रातों में मेरे … Continue reading KhayaloN khwaboN ka ik nagar thaa

Main ne phir se poochha kuch be-sabri se

मैं फिर से पूछा कुछ बेसब्री से खत भेजा क्या उस ने चाँद की नगरी से किरनों किरनों बात चली, ऐ बादल सुन लहरों लहरों ख्वाब थिरकते शररी से शाम ढले कुछ ख़ालीपन महसूस हुआ दर्द कहीं जा बैठ था दोपहरी से क्या क्या कह के दिल को मैं ने बहलाया खेल नए जब निकले … Continue reading Main ne phir se poochha kuch be-sabri se

Ye Bheege Patthar Sunehri Kirno ke teer kha kar pighal rahe hain

ये भीगे पत्थर सुनहरी किरणों के तीर खा कर पिघल रहे हैं सुनहरी किरणों के मोल दे कर सितारे भी सारे ढल रहे हैं तुम्हें ये ग़म है की रात फिर से दुखों की चादर बिछानी होगी ये रात आई है इस लिए तो फलक पे तारे निकल रहे हैं इन आंसुओ के बहा के … Continue reading Ye Bheege Patthar Sunehri Kirno ke teer kha kar pighal rahe hain

Jab mulaqaat ho to aisi ho

पूछते हो कि शाम कैसी हो दिल को बहलाती याद की सी हो आँख भर देख लूँ मैं आज उसे क्या पता कल की सुबह कैसी हो प्यार करना अगरचे जुर्म हुआ फिर सज़ा उस की चाहे जैसी हो देख कर उस को मैं ने सोचा थाज़िंदगी हो तो काश ऐसी हो धूप में प्यार … Continue reading Jab mulaqaat ho to aisi ho

Tum samajhte ho main bebas hun bikhar jaungi

तुम समझते हो मैं बेबस हूँ, बिखर जाऊँगी इतनी कमज़ोर नहीं हूँ मैं कि डर जाऊँगी तुम ग़लत हो तो ये मानो भी कि हो सच में ग़लत मुझ पे इल्ज़ाम धरोगे तो मुकर जाऊँगी तुम मुझे रोक नहीं पाओगे जंजीरों से पा-ब-जौलाँ ही सही, अपनी डगर जाऊँगी बहता पानी हूँ मैं, दरिया भी, समंदर … Continue reading Tum samajhte ho main bebas hun bikhar jaungi