Suno miri jaaN ye apne aansu chhupaye rakhna

सुनो मिरी जाँ ये अपने आँसू छुपाए रखना 
तुम अपनी मजबूरीयों को उन से बचाए रखना 

अंधेरी रातें जो बन के तूफान तुम को घेरें 
हवा कि ज़द में चराग़ अपने जलाए रखना 

है मुश्किलों से भरी ये दुनिया मगर सुनो तुम 
लबों पे हरदम ये मुस्कुराहट सजाए रखना 

किसी कि चाहत में अपना तन मन लुटा न देना 
मोहब्बतों में तुम अपनी हस्ती बचाए रखना 

ज़माने भर कि निगाहें तुम पर उठेंगी लेकिन 
मक़ाम अपना मिज़ाज अपना बनाए रखना
سنو مری جاں  یہ  اپنے آنسو چھپائے  رکھنا
تم اپنی مجبوریوں   کو ان سے    بچا ئے  رکھنا

اندھیری  راتیں جو بن کے طوفان تم کو گھیریں
ہوا کی ذد  میں  چراغ     اپنے  جلا ئے رکھنا

ہے مشکلوں سے بھری  یہ  دنیا مگر  سنو تم
لبوں پہ  ہر دم   یہ مسکراہٹ سجا ئے رکھنا

کسی کی چاہت میں اپنا تن من لٹا نہ دینا
محبتوں میں  تم  اپنی ہستی بچا ئے رکھنا

زمانے بھر کی نگاہیں تم پر اٹھیں گی لیکن
مقام اپنا  مزاج  اپنا  بنا ئے رکھنا

Photo by Elisa Photography on Unsplash

Dunia miri nigaah ki qaiel nahiN rahi

दुनिया की बात क्या कहें अच्छी भली रही अंदाज़ दोस्ती का था पर दुश्मनी रही  हर दर्द मिट चुका था मगर बेकसी रहीसाहिल क़रीब था मिरे पर तिशनगी रही  इक उम्र चुक गयी है यही सोचते हुए ग़म खत्म हो चुके हैं मगर ज़िंदगी रही  ख्वाबों का क्या वजूद रहा जागने के बाद फिर भी मैं दिन में … Continue reading Dunia miri nigaah ki qaiel nahiN rahi

Dhoop meiN jis ka sayaa sar par hota hai

धूप में जिस का साया सर पर होता है एक शजर हर घर में अक्सर होता है  बूढ़े घर के दरवाजों का भारीपनबचपन की यादों का मेहवर होता है  झरना दरिया झील समुंदर  सब खामोशशोर मगर कुछ उन के अंदर होता है   बात लबों तक आ  आ कर थम जाती है इश्क़ मोहब्बत प्यार में ये डर  … Continue reading Dhoop meiN jis ka sayaa sar par hota hai

KhayaloN khwaboN ka ik nagar thaa

खयालों ख्वाबों का इक नगर था वहीं पे मेरा भी एक घर था और उस के दीवार ओ दर के अंदर मेरा जहां था मिरी किताबें मैं उन मे खो कर फ़साने सुनती और अपनी भी इक कहानी बुनतीतुम्हें सुनाती तो देखती मैंतुम्हारी आँखों में वो ही सपनेजो मेरी आँखें भी देखती थीं  सजीले दिन और नशीली शामें अंधेरी रातों में मेरे … Continue reading KhayaloN khwaboN ka ik nagar thaa

Main ne phir se poochha kuch be-sabri se

मैं फिर से पूछा कुछ बेसब्री से खत भेजा क्या उस ने चाँद की नगरी से किरनों किरनों बात चली, ऐ बादल सुन लहरों लहरों ख्वाब थिरकते शररी से शाम ढले कुछ ख़ालीपन महसूस हुआ दर्द कहीं जा बैठ था दोपहरी से क्या क्या कह के दिल को मैं ने बहलाया खेल नए जब निकले … Continue reading Main ne phir se poochha kuch be-sabri se

Ye Bheege Patthar Sunehri Kirno ke teer kha kar pighal rahe hain

ये भीगे पत्थर सुनहरी किरणों के तीर खा कर पिघल रहे हैं सुनहरी किरणों के मोल दे कर सितारे भी सारे ढल रहे हैं तुम्हें ये ग़म है की रात फिर से दुखों की चादर बिछानी होगी ये रात आई है इस लिए तो फलक पे तारे निकल रहे हैं इन आंसुओ के बहा के … Continue reading Ye Bheege Patthar Sunehri Kirno ke teer kha kar pighal rahe hain

Jab mulaqaat ho to aisi ho

पूछते हो कि शाम कैसी हो दिल को बहलाती याद की सी हो आँख भर देख लूँ मैं आज उसे क्या पता कल की सुबह कैसी हो प्यार करना अगरचे जुर्म हुआ फिर सज़ा उस की चाहे जैसी हो देख कर उस को मैं ने सोचा थाज़िंदगी हो तो काश ऐसी हो धूप में प्यार … Continue reading Jab mulaqaat ho to aisi ho

Tum samajhte ho main bebas hun bikhar jaungi

तुम समझते हो मैं बेबस हूँ, बिखर जाऊँगी इतनी कमज़ोर नहीं हूँ मैं कि डर जाऊँगी तुम ग़लत हो तो ये मानो भी कि हो सच में ग़लत मुझ पे इल्ज़ाम धरोगे तो मुकर जाऊँगी तुम मुझे रोक नहीं पाओगे जंजीरों से पा-ब-जौलाँ ही सही, अपनी डगर जाऊँगी बहता पानी हूँ मैं, दरिया भी, समंदर … Continue reading Tum samajhte ho main bebas hun bikhar jaungi

Kahi jo baat wo sach thii

कही जो बात वो सच थी मगर मानी नहीं जाती मिरे छोटे से दिल की ये परेशानी नहीं जाती वो बेटा है मैं बेटी हूँ यही एक फ़र्क़ है हम में मिरी क़िस्मत में है पिंजरा वाँ शैतानी नहीं जाती किसी के आँख का पानी किसी के दिल की वीरानी अगर परदे के पीछे हो … Continue reading Kahi jo baat wo sach thii

Wo be-wafa bhii ho to kya

वो बेवफ़ा भी हो तो क्या ये ऐसी भी खता नहीं ये ज़िंदगी भी चार दिन में देगी क्या दग़ा नहीं? ज़बान पे सवाल थे प लब मिरे सिले रहे वो मुंतज़िर खड़ा रहा प मैं ने कुछ कहा नहीं वो राह अपनी चल पड़ा न मुड़ के देखा उस ने फिर मैं बुत बनी … Continue reading Wo be-wafa bhii ho to kya