ہستی اپنی حباب کی سی ہے
یہ نمائش سراب کی سی ہے
میر تقی میر –
Hasti apni habaab ki si hai
ye numayish saraab ki si hai
– Mir Taqi Mir
हस्ती अपनी हबाब की सी है
ये नुमाइश सराब की सी है
– मीर तक़ी मीर
Photo credit: Jeff Kubina via Foter.com / CC BY-SA
This life is nothing but a bubble, its ephemeral
a mirage, all this show it is evasive and unreliable
क्या बात है….बुलबुला जब अपनी हस्ती की बात करे
और प्रदर्शन एक मृगतृष्णा हो जाए ये दोनों पल सहन करना कठिन है